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सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की पुण्यतिथि पर सादर नमन : भावना पांडे

हरिद्वार। उत्तराखंड की बेटी, वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी, जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केन्द्रीय अध्यक्ष एवं हरिद्वार लोकसभा सीट से जेसीपी की प्रत्याशी भावना पांडे ने सिखों के 10वें गुरू, गुरू गोबिंद सिंह जी की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए सादर नमन किया।

इस अवसर पर जारी अपने संदेश में जनसेवी भावना पांडे ने कहा- सिख धर्म के 10वें गुरु एवं खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोबिंद सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत्-शत् नमन। सदा प्रेम, एकता व भाईचारे का संदेश देने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी का आदर्शपूर्ण जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायी है।

 

जेसीपी प्रत्याशी भावना पांडे ने गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु गोविंद सिंह जहां विश्व की बलिदानी परम्परा में अद्वितीय थे, वहीं वे स्वयं एक महान लेखक, मौलिक चिंतक तथा संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे। उनकी वाणी में मधुरता, सादगी, सौजन्यता एवं वैराग्य की भावना कूट-कूटकर भरी थी। उनके जीवन का प्रथम दर्शन ही था कि धर्म का मार्ग सत्य का मार्ग है और सत्य की सदैव विजय होती है।

वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी आज ही के दिन यानी की 7 अक्टूबर को शहीद हो गए थे। उन्होंने कभी भी मुगलों के जुल्म के आगे घुटने नहीं टेके। गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। “वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह” और “सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, गीदड़ से मैं शेर बनाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं” जैसे वाक्य गोबिंद सिंह की वीरता को बयां करते हैं।

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